सोशल नेटवर्किंग वेब मेल पर फ्लैश होते अनजान लेकिन आकर्षक मालूम देने वाले संदेश में एक ऐसा वायरस छिपा हो सकता है, जो आपके कंप्यूटर सिस्टम का बैंड बजा देगा।
युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हुए फेसबुक, ट्विटर, फेंड्स्टर, माईस्पेस और हाइ5 जैसे नेटवर्किंग पोर्टल उस हालिया वर्चुअल वायरस के निशाने पर है, जो दिलचस्प टैगलाइन के सहारे यूजर को क्लिक करने पर मजबूर कर सकता है। आगे जानें कैसे काम कर रहे हैं ये वायरस। एक बार आपने इस पर क्लिक किया, फिर यह आपको वेब जाल में फंसाने की हर तकनीक में माहिर है। इसलिए, अगली दफा आपके नेटवर्किंग मेल पर एक पंक्ति का कोई रोचक संदेश दिखे, जो अंदर वीडियो लिंक होने का चारा फेंके, तो सावधान हो जाइए।
यह एक ऐसा स्पैम हो सकता है, जो अहम वेब फीचर पर हमला बोलने के इंतजार में बैठा है और उससे संवेदनशील डेटा चुराने का माद्दा भी रखता है। आगे जानें क्या नाम दिया गया है इस वायरस को दुनिया भर में इस वायरस को कूबफेस का नाम दिया गया है और यह वेब यूजर को वीडियो लिंक के वादे के साथ एक दिलचस्प संदेश भेजने के जरिए अपने स्पैम का दायरा बढ़ा रहा है। वीडियो लिंक पर क्लिक करने पर सिस्टम यूजर को यू-ट्यूब की नकल वाली वेबसाइट पर जाने का निर्देश देता है। जो वास्तव में Yuo Tube है।
यह फर्जी साइट एक वीडियो दिखाने का दावा करती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं मिलता। वायरस के इस खतरे से सतर्क हुई सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के साइबर सुरक्षा इकाई ने सर्तकता बरतने का नोट जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि अटैचमेंट खोलते और फाइल ट्रांसफर स्वीकार करते वक्त सावधान रहें। आगे जानें हो इस वायरस का खतरा तो क्या करें। वायरस के खतरे से प्रभावित होने पर यूजर को वे सभी फाइल और रजिस्ट्री की डिलीट करनी होंगी, जो वायरस की ओर से जोड़ी गई हैं। डीआईटी की एडवाइजरी में कहा गया है कि इंटरनेट यूजर को अपने कंप्यूटर में अपडेटेड एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने और उन्हें बनाए रखने की सलाह भी दी जा रही है और साथ ही डेस्कटॉप फायरवॉल भी बनाए रखने का मशविरा दिया गया है। साथ ही उन पोर्ट को भी ब्लॉक किया जाना चाहिए, जिनकी जरूरत नहीं है।
इसके बाद यूजर को एक्जेक्यूटेबल फाइल इंस्टॉल करने के लिए कहा जाता है ताकि वह वीडियो देख सके। हालांकि, यह फाइल वास्तव कूबफेस मालवेयर नहीं है, बल्कि कूबफेस कम्पोनेंट का डाउनलोडर है। एक बार इंस्टॉलेशन प्रक्रिया पूरी हो जाए, तो संक्रमित यूजर मशीन अतिरिक्त गड़बडि़यां फैलाने के काम आ सकती है। पे पर क्लिक एडवरटाइजिंग रेवेन्यू जनरेट करने, संवदेनशील डाटा चुराने और यूजर के ऑनलाइन अनुभव को प्रभावित करने के काम आता है।

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